रविवार, 30 सितंबर 2012

YAADEN (56) यादें (५६)

छटी की पढाई शुरू होने पर पिताजी मेरे लिए पीतल का छोटा सा कमण्डल लाये ; माँ उसमे रोटी और पनीर  लपेट कर रखती; मैं उसे cycle के handle पर टांग कर ले जाता; सब लड़के उस डोलू को सराहते थे। शायद पूरे school लड़कों में से उस तरह का बर्तन सिर्फ मेरे पास ही था। अधिकांश लडके कपडे की पोटली में ही खाना लाते थे। 
आधी छुट्टी में नहर के किनारे बैठ कर खाने का स्वाद अविस्मरणीय है। कभी मन करता तो किसी पेड़ की टहनी पर चढ़ कर खाते थे। दूसरी खास चर्चा ये होती थी की; मेरे पास खट्टा-मीठा लस्सी का पनीर होता था,  दूध का फीका-फीका पनीर मुझे पसंद नहीं था।मेरे साथी दोस्त भी यदा-कदा चखते थे। 
 उस वक़्त तक PLASTIC के जूता-चप्पल का चलन नहीं हुआ था। गाँव में जब मेरे लिया नरम सुनहरी गुलाबी रंग के PLASTIC के SANDLE 6/- रुपये कीमत के आये तो; सबने सराहा था:-
रामजी के लडके के सैंडल 6 रुपये के !
रामजी गे छोरे गा सैंडल 6 रिपियाँ गा !
ਰਾਮਜੀ ਦੇ ਮੁੰਡੇ ਦੇ ਸੈਂਡਲ 6 ਰਾਪੈਯਾਂ ਦੇ !
 मैं बड़े चाव से पहनता था। उसके बाद उतने मुलायम और सुन्दर प्लास्टिक के जूते-चप्पल मैंने आज तक नहीं पहने। 


जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ  

Ashok, Tehsildar  Srivijaynagar  9414094991

रविवार, 23 सितंबर 2012

YAADEN (55) यादें (५५)

उस दौरान के दूसरे साथियों में 25NP के जसवंतसिंह, सुरजीतसिंह, अच्छर सिंह,  33NP के बूटासिंह, दलीपसिंह, अशोकसिंह, सतजंडा के हंसराज, राजाराम, बल्लेवाला के हंसराज, ठंडी के साहब राम, रामकिशन, 57NP ओमप्रकाश;  हमसे आगे वालों में 34NP नरेंद्र सिंह, 55NP सोहन लाल राहड़, पीछे वालों में गुरजंटसिंह, महेंद्रसिंह, श्यामसिंह, मोहनसिंह, जसवीरसिंह, सुल्तानराम, 57NP कृष्णचन्द्र के नाम याद हैं। 25NP के कश्मीरी ब्रह्मण परिवारों को 3 या 4 लड़कियाँ भी हमारे साथ 3 साल पढ़ीं।
ओमप्रकाश मेघवाल 57NP  कुछ साल पहले नानुवाला पंचायत का सरपंच था।  जसवंतसिंह POLICE में था, इसी महीने SEPTEMBER 2012 में रायसिंहनगर में देहांत हो गया। नरेंद्र VOLLY-BALL और कबड्डी का खिलाडी था। उससे भी अक्सर 2-4 साल बाद मुलाकात हो जाती है। रामकिशन मसानीवाला में रहता है; गुरजंटसिंह रायसिंहनगर में अध्यापक है, श्रीराम, गुरमेल, विश्वनाथ, और तेजासिंह का ज़िक्र पहले भी हो चुका है। विश्वनाथ 2002 में गुजर गया। तेजासिंह संधू  श्रीगंगा नगर में ADVOCATE है। गुरमेल सरदारपुरा बीका (खिचियाँ) में रहता है।

जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ  
Ashok, Tehsildar  Srivijaynagar  9414094991

रविवार, 16 सितंबर 2012

YAADEN (54) यादें (५४)


उस समय 25NP, शामगढ़, और रायसिंहनगर में ही MIDDLE SCHOOL थे। हिंदी में माध्यमिक बोला जाता था; लगभग उसी दरम्यान उनका नामकरण उच्च प्राथमिक हुआ।
 नानुवाला, बल्लेवाला, 45NP 55NP 56NP 57NP 35NP सतजंडा,  34NP, 33NP ठंडी, मोहन नगर, 20NP 22NP वाले 25NP ही पढ़ने जाते थे।
छठी में मेरे अलावा नरेंद्र कुमार बिश्नोई 20NP, प्रेम कुमार मंडा 35NP, कृष्ण कुमार मंडा सतजंडा, प्रह्लाद राय 56NP,  पढ़ाई  में होशियार थे
नरेन्द्र कक्षा का MONITER था। एक दिन वह गणित के सवाल करवा रहा था, मैंने SLATE पर सवाल हल करके उसे दिखाया, तो उसने काटा X दिया। मैंने अपनी टाट-पट्टी पर बैठ कर दोबारा जाँच किया, तो मेरे सवाल सही था। मैंने एकदम से जाकर उसका गला पकड़ लिया। वह रोता हुआ HEADMASTER जी के पास गया; पीछे-पीछे मैं भी चला गया। उस दिन से उसने MONITERY छोड़ दी।    उसके पिता पृथ्वी राज सरपंच थे। उसका बड़ा भाई गजेन्द्र हमसे एक CLASS आगे था। बाद में तीन साल  हम दोनों दोस्त बन कर रहे 
25NP का साथ छूटने के कुछ साल बाद साँप काटने से प्रह्लाद की मौत हो गई, पता चला कि नरेंद्र भी छोटी उम्र में गुज़र गया। प्रेम ENGINEERING  में बीकानेर चला गया था, उससे पाँच-चार साल बाद मुलाकात होती रही है; कृष्ण कुमार महाराष्ट्र में KL BISHNOI के नाम से IPS है। उससे आज तक मुलाकात नहीं हुई। 

जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ  
Ashok, Tehsildar  Srivijaynagar  9414094991


रविवार, 9 सितंबर 2012

YAADEN (53) यादें (५३)


रतनाराम जी, सफ़ेद कमीज़-पायजामा पहनते थे, और सरल स्वाभाव के थे। उनकी एक आँख नहीं थी। अजमेर सिंह जी नए लगकर पहली बार आये थे; वे सुरुचिपूर्ण FASHIONABLE थे। पेंट के ऊपर पूरे बटनों वाली गोलाई-CUT की कमीज़ का रिवाज़ था। वे सामान्य-विज्ञान पढ़ाते थे। 7वीं की अर्धवार्षिक परीक्षा में मेरे 69/70 NUMBER आये थे। वे पदमपुर के आस-पास रहने वाले थे; 1990 के आस-पास एक-दो बार उनसे मुलाकात भी हो गई थी।
 पदम कुमार जी शर्मा के ज़िक्र के बिना मेरा विद्यार्थी जीवन अधूरा है। वे गजसिंहपुर से आये थे; फिरोजपुर के रहने वाले थे। TERELENE की काली चमकीली पेंट ऊपर वैसी ही चकाचक सफ़ेद बुश-शर्ट, मुंह पर हल्के चेचक के दाग; सुरुचिपूर्ण कंघी किये बाल, और स्नेहयुक्त हल्की मुस्कान लिए मधुर वाणी। संस्कृत और ENGLISH दोनों भाषाओं पर उनका पूरा अधिकार था। वे अक्सर दुलारामजी के साथ नानुवाला आ जाते थे; इस तरह हमारे घर भी उनका आना हो जाता था। मई 1970 में, मैं 8वीं PASS कर चुका था; पदमकुमार जी नानुवाला दुलाराम जी के घर (मेरे ननिहाल)  लेटे-लेटे ख़बरें सुन रहे थे, मैं उनके पाँव दबा रहा था, जैसे LOTIKA RATNAM ने बोला- "AND THAT  IS END OF THE  NEWS" वे RADIO बंद करते हुए पंजाबी में बोले-
बेटा तेरा राज के खजाने में शीर है। ਬੇਟਾ, ਤੇਰਾ ਰਾਜ ਦੇ ਖ਼ਜ਼ਾਨੇ ਵਿਚ ਸ਼ੀਰ ਹੈ। 
मैंने कहा-
गुरूजी मैंने नौकरी नहीं करनी। ਗੁਰੁਜੀ ਮੈਂ ਨੌਕਰੀ ਨਹੀਂ ਕਰਨੀ।
 वे बोले-
नहीं बेटा मैं तो तुझे बता रहा हूँ। ਨਹੀਂ ਬੇਟਾ, ਮੈਂ ਤਾਂ ਤੌਨੁ ਦਾਸਿਯਾ ਹੈ।
उसके बाद मैं देहरादून चला गया था। उनकी बात सही निकली मैं नौकरियां छोड़ता रहा, और नौकरियां मेरे पीछे-पीछे भागती रहीं। 2008-09 में जब मैं नागौर था, एक दिन BUS पदमपुर पहुँचने पर मैंने देखा, वे सामने खड़े थे; मैं आश्चर्य मिश्रित उत्साह में जल्दी से उतर कर भागा। उनको चरण-स्पर्श किया; वे भी गदगद हो गए; मुश्किल से दो या तीन MINUIT की ये मुलाकात थी। 
 
जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
 Ashok, Tehsildar  Srivijaynagar  9414094991

रविवार, 2 सितंबर 2012

YAADEN (52) यादें (५२)

जुलाई 1967 में SCHOOL खुलने के थोड़े दिन बाद, महेंद्र सिंह जी का तबादला हो गया। जिन लड़कों के पास CYCLE थी, वे उनका सामान पहुँचाने मोहन नगर RAILWAY स्टेशन गये थे। गर्मी की दोपहर और रेतीला रास्ता; घर देर से  पहुंचने के कारण, मेरे माँ-पिताजी चिंतित थे। काशीराम जी गणित पढ़ाते थे; वे काफी सख्त स्वाभाव के थे;  पर जिस दिन उनका तबादला हुआ, विदाई पार्टी में वे भावुक हो गये थे, तब मैंने उनकी कोमलता महसूस की थी। उन्होंने विद्यालय के लिए सहयोग भी दिया था।
सोहन लाल जी हिंदी पढ़ाते थे, उनकी हमारे गाँव में मनीराम गोदारा के साथ रिश्तेदारी भी थी; 33NP में उन्होंने कपास बीज रखी थी। जो लड़के 33NP के रास्ते पैदल जाते थे; उनको कपास चुगाई का काम मिला। दूसरे साथियों ने मुझे कहा; तो मैंने मना कर दिया। छटी की छमाही परीक्षा में मेरे 20/70 अंक आये। मैंने हंगामा खड़ा कर दिया। संयोगवश बाशी चाचा जी (सुभाषचन्द्र शर्मा) सोहनलाल जी के परिचित थे। उनको पता चला, तो उन्होंने मुझे समझा-बुझा कर शांत किया।
जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
 Ashok, Tehsildar  Srivijaynagar  9414094991