रविवार, 29 दिसंबर 2013

YAADEN (121) यादें (१२१)

1978 में ठीक 21 साल की उम्र में मैं रायसिंहनगर SBBJ स्टेट बैंक ऑफ़ बीकानेर एंड जयपुर में केशियर (80 दिन हेतु ) लग गया! कन्हैयालाल  कोचर शाखा प्रबन्धक थे, इंद्रचन्द बच्छावत सहायक प्रबंधक, JR Pathak (जसवंत राय) HEAD CASHIER, लाल चंद खोसला CASHIER   शंकरलाल राठी, बृजमोहन गर्ग, ओम प्रकाश सिंगल, नवल राम दवा, सुभाष तुली, कर्म चंद, गुरदयाल सिंह, कुछ की शक्लें मुझे याद हैं पर नाम भूल गया; 
राठी जी को मैं रामलीला से जानता था; नवल राम कक्षा 6 से 8 तक 25 NP का सहपाठी था;  मेरे पास RECEIPT प्राप्तियां थीं, सुबह 9.45 पर स्ट्रोंग रूम खोलकर पाठक जी व खोसला जी के साथ CASH गिनना, 10 बजे से 12 बजे तक सरकारी प्राप्तियां, और 2 बजे तक गैर-सरकारी प्राप्तियां, शनिवार को एक घंटा जल्दी बंद !  2.30 तक छुट्टी, फिर CASH-BOOK की प्राप्तियों का ACCOUNT OFFICER के खाते से मीलन, FINAL DAILY ACCOUNT की RECEIPT/PAYMENT का मिलान; CASH गिनना ISSUABLE और NON-ISSUABLE की अलग अलग गड्डियां बनानी, सिलना, CASH-BOX में रखना; STRONG-ROOM  बंद करना; शुक्रवार शाम को LEDGERS का साप्ताहिक मिलान करना;
इसी बीच होली पर राठी जी ने अपनी और से बैंक में ही मिठाई पकौड़े का इंतजाम किया; खा-पी कर जब
चलने लगे, तो राठी जी बोले -भाई पकौड़ों में भाँग है; मैं हुत ही संभल-संभल कर cycle चलाता रहा; पर घर पहुँचने तक, मुझे कुछ महसूस नहीं हुआ; शायद यह उनके मजाक की अदा थी !
सुबह-शाम मुझे गुरजंट सिंह को पढ़ाना होता था; इस वज़ह से शाम को ज्यादा देर नहीं रुक सकता था; कोचर साहब ने बनारसी दास मल्होत्रा से मुझे कहलवाया कि बैंक आपका CARRIER है; मैंने उन्हें स्पष्ट कर दिया कि बैंक मेरा CARRIER नहीं है; मैं खुद ही अपना CARRIER हूँ ! इस तरह मैनेजर की नाराज़गी के चलते ही मैंने शनिवार 22 अप्रैल तक 80 दिन पूरे करके SBBJ को अलविदा कह दिया !!    

रविवार, 22 दिसंबर 2013

YAADEN (120) यादें (१२०)

 पटवार परीक्षा का परिणाम आने से पहले ही मेरा राजस्थान लोक सेवा आयोग से LDC में चयन हो गया था, पर मैं TYPE-TEST देने नहीं गया; मेरे खास दोस्त श्याम सिंह का रिश्ता मेरे पिताजी ने ही छोटा लालपुरा में बेलीराम आहूजा की लड़की विमला से करवाया, जो कि सुरेन्द्र कुमार के बड़े भाई थे; इनका मूल गाँव करडवाली है! यानि कि धनीराम जी की लड़की राजकुमारी, विमला की चाची है;
इसी दरम्यान मैं डोईवाला, भानियावाला, जॉली, देहरादून भी चक्कर लगा आया था; तब तक विश्वनाथ, श्याम सिंह, और हमारा पडोसी जरनैल सिंह रायसिख PWD में बेलदार लग चुके थे, पंडित तीरथराम जी का बड़ा लड़का तिलक राज विजयनगर RCP में LDC लग चूका था और ठाकुर सिंह जी का लड़का करण सिंह और मेरा सहपाठी श्रीराम ये दोनों भी विजय नगर में ही पुलिस में सिपाही लग चुके थे;
मोरारजी सरकार ने संसद में 44 वाँ संविधान संशोधन रखा,  जिसमे नागरिक अधिकारों को पुनः बहाली के लिए  42 वें संशोधन की पाबंदियों को भी खत्म किया गया ! इस तरह से अजीब-ओ-ग़रीब हालत और वाक़यात वाला 1977 बीत गया !

रविवार, 15 दिसंबर 2013

YAADEN (119) यादें (११९)

 इस तरह 1977 शुरूआती आठ माह तक विस्मयकारी राजनीतिक उथल-पुथल से भरपूर रहा; मैं BA FINAL परीक्षा से तो वंचित हो ही गया था; पटवार परीक्षा भी अप्रैल से सितम्बर तक सरकती रही;
मैं यदा-कदा सतज़ण्डा, जैतसर और करणपुर भी आता-जाता रहता था; 
उस समय जुलाई अगस्त में घग्घर नदी में बाढ़ आने पर सूरतगढ़ से जैतसर के बीच रेलगाड़ी बंद हो जाती थी; सूरतगढ़ से जैतसर तक बस में आना पड़ता था आगे भी अगर रेलगाड़ी न मिले तो डाबला-मुकलावा-20PS होकर आते या फिर विजयनगर होकर बस से आते-जाते थे;
इसके अलावा में रोज सुबह cycle पर रायसिंहनगर बजरंग लाल सत्यनारायण गर्ग के परिवार में उनके 7-8 बच्चों को पढाने भी जाता था; पर मैंने आज तक किसी से भी अध्यापन या सलाह के लिए मेहनताना नहीं लिया;  
  अक्तूबर में राठी उच्च माध्यमिक विद्यालय सूरतगढ़ में हुई; मैं और ओम इकट्ठे CANAL COLONY  में रहते थे; गणित का पेपर कुछ ठीक नहीं हुआ था; मुझे उसमे 86 से अधिक नंबर आने की उम्मीद नहीं थी; और संयोगवश किसी कारण से गणित की परीक्षा दुबारा हुई, उसमे 16-16 नम्बरों के 6 सवाल करने थे ; इसमें मेरे 96 नंबर आये, MENSURATION में  मुझे 48/ 50  अंक मिले;
कुल 436 में से 338 अभ्यर्थी सफल हुए, उनमें मेरा तीसरा स्थान था;           

रविवार, 8 दिसंबर 2013

YAADEN (118) यादें (११८)

लोक सभा आम चुनाव 1977 के बाद  नीलम संजीव रेड्डी लोकसभा अध्यक्ष बने; उपप्रधान मंत्री (गृह-मंत्री) चौधरी चरण सिंह ने दो कार्यवाहियां बहुत ही गलत की, जो न तो प्रशासनिक थीं, न ही राजनीतिक ; मैंने इसे व्यक्तिगत द्वेषता की श्रेणी में ही  रखा था; और इनका खामियाजा बाद में चौधरी चरण सिंह और जनता-पार्टी के साथ-साथ राष्ट्र को भी भुगतना पड़ा; 

1 - 9 उत्तरी राज्यों में सरकारों को इस आधार पर भंग कर दिया गया, कि  77 के आम चुनावोंके परिणाम कांग्रेस के खिलाफ गया, इसलिए ये कांग्रेसी मुख्य-मंत्री जनमत  खो चुके हैं; 
2- इंदिरा गाँधी को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया; 

राष्ट्रपति ( BD JATTI उपराष्ट्रपति ) ने  विधान सभाओं को भंग करने के अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया; चौधरी चरण सिंह ने कहा कि यदि राष्ट्रपति हस्ताक्षर नहीं करेंगे तो हम रेडियो पर घोषणा द्वारा लोक-सभा भंग करके नये चुनाव करवाएँगे; इस धमकी के बाद अध्यादेश पर हस्ताक्षर हो गये; 
उत्तरी राज्यों में भी जनता पार्टी और उसके सहयोगी क्षेत्रीय दलों की सरकारें बनीं - 
इसके तुरंत बाद जुलाई में राष्ट्र्पती के  चुनाव में भी श्री नीलम संजीव रेड्डी लोकसभा अध्यक्ष को ही सर्वसम्मति से राष्ट्रपति चुना गया; ये स्टष्टतः 1969 की हार का बदला था; 

जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
Ashok 9414094991, Tehsildar ; Sri Vijay Nagar 335704 
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रविवार, 1 दिसंबर 2013

YAADEN (117) यादें (११७)

1977 की अजीबो गरीब   शुरुआत हुई; समय अनिश्चयात्मक और आकस्मिक घटनाओं से भरा रहा;  3 जनवरी से हमने सिंचाई पटवारी प्रशिक्षण शुरू किया;
 18 जनवरी  को प्रधान-मंत्री इंदिरा गाँधी ने अचानक आम चुनाव की घोषणा कर दी;  11 फ़रवरी को राष्ट्रपति फ़खरूद्दीन अली अहमद की मृत्यु होने से, उपराष्ट्रपति बासप्पा दानाप्पा जत्ती (BD Jatti ) ने कुर्सी संभाली;
 देश ने राजनीतिक अंगड़ाई ली; जगजीवन राम; हेमवती नंदन बहुगुणा, नंदिनी सत्पत्थी ने congress को छोड़ कर नया दल CFD (Congress For Democracy) बनाया;
जेल में बंद विपक्षी नेताओं ने मिलकर जनता पार्टी JP बनाई जिसे हलधर का निशान मिला; इसमें जनसंघ, भारतीय लोक दल, समाजवादी पार्टी, स्वतंत्र पार्टी,  भारतीय क्रांति दल BKD, प्रजा सोशलिस्ट, शामिल हुए; मोरारजी देसाई अध्यक्ष , रामकृष्ण हेगड़े महासचिव और लाल कृष्ण आडवाणी प्रवक्ता बने; कुछ क्षेत्रीय दलों ने JP के साथ चुनावी गठबंधन किया,
बीकानेर संसदीय क्षेत्र से चौधरी हरिराम मक्कासर और गंगानगर से बेगाराम विजयी हुए;
उत्तर भारत में कांग्रेस की जबरदस्त हार हुई; राजस्थान में 25 में से केवल एक नागौर में रामनिवास मिर्धा जीते, उत्तर प्रदेश के समस्त 85  स्थानों पर इंदिरा गाँधी, संजय गाँधी समेत हार हुई;  330 /542 के बहुमत से मोरारजी देसाई 23 मार्च को, पहले गैर-कांग्रेसी सरकार के प्रधान-मंत्री बने; अटल बिहारी वाजपई विदेश-मंत्री, चरण सिंह उप प्रधान-मंत्री (गृह ), जगजीवन राम को भी उपप्रधान मंत्री बनाया गया; कुछ राज्यों के मुख्य मंत्री भी केन्द्रीय मंत्रालयों में आ गये;

 हल्की सी चर्चा थी कि प्रशिक्षणार्थीओं को भी चुनाव-कार्य में लगाया जा सकता है;  इस राजनीतिक परिदृश्य की अनिश्चयता और सिंचाई विभागीय पटवारी की परीक्षा (जो अप्रैल से सरकती-सरकती अक्तूबर में हुई); की आशा में मैंने भोपाल विश्वविद्यालय BA Final को छोड़ दिया था;


जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
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रविवार, 24 नवंबर 2013

YAADEN (116) यादें (११६)

जैतसर गुरूजी के घर, मेरी मुलाकात त्रिलोक चंद यादव यादव से हुई, जो जैतसर विद्युत् विभाग में meter-reader थे, उसके बाद  1985 में, जब मैं गंगा नगर office-quanoongo के पद पर था; तो उनका साधुवाली से फ़ोन आया, मैंने उनको नहीं पहचाना, वे नाराज हो गये, मैंने सन्दर्भ पूछा, उन्होंने बताया; तो मैंने झट से मुआफी मांग ली; उस दिन से हमारी मित्रता चली आ रही है; हर सुख-दुःख आपस में साझा करते हैं पारिवारिक सलाह-मशविरा भी करते हैं; उनके अधिकांश रिश्तेदार भी मेरे परिचित हो गये हैं; मेरे घर परिवार और रिश्तेदार भी उनसे परिचित हैं; वे पदोन्नत होकर 30.11.2010 को सेवा निवृत होकर 7Z में रहतेहैं। बुधवार २१ अप्रैल २०२१ को उनका देहान्त हो गया।                
ज़िन्दगी का सफ़र;زندگی کا سفر
है, इक ऐसा सफ़र !ہے اک ایسا سفر
कोई समझा नहीं; کوئی سمجھا نہیں؛
कोई जाना नहीं !! کوئی جانا نہیں

    जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
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रविवार, 17 नवंबर 2013

YAADEN (115) यादें (११५)

आधिकारिक रूप से हमारा प्रशिक्षण-काल 31.03.1977 तक था; उसके बाद विभागीय परीक्षा होनी थी; तिथि घोषित न होने के कारण मैं लगातार सुखदेव सिंह जी के साथ काम करता रहा; सतजण्डा में मेरे 25 NP के सहपाठी हंसराज, राजाराम, प्रेम भी थे; कृष्ण मण्डा उस समय दिल्ली में MFil कर रहा था, उसके पिताजी रामनारायण जी व दादा हुणता जी से यदा-कदा मुलाकात हो जाती थी; वैसे भी नानुवाला से सतजण्डा सिर्फ 5  किलोमीटर है; मैं CYCLE पर आता-जाता था, मैंने 3 माह की बजाय, लगभग 8-9 महीने काम सीखा; मौके पर और दफ्तर में सारा काम  किया;    
सुखदेव सिंह जी ने भी लगन से काम सिखाया, वे यदा-कदा हमारे घर भी आते रहते थे, पिताजी मेरे काम से संतुष्ट थे; मैं भी अक्सर जैतसर गुरूजी के घर जाता रहता था; 
उस समय रायसिंहनगर से करणपुर रेल पर र 1.33, जैतसर 1.12 किराया था;
 अब भी हमारे सम्बन्ध वैसे ही हैं; 2012 में विजय नगर आने के बाद आशीर्वाद लेने, मैं सपत्नीक जैतसर गया था                      
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रविवार, 10 नवंबर 2013

YAADEN (114) यादें (११४)

सोमवार 3 जनवरी, 1977 को  अधिशाषी अभियंता , पूर्व खण्ड श्री विजय नगर के कार्यालय में उपस्थित हुआ, उस समय इस

खंड के अधीन 2 जिलेदार- RD 268 और विजय नगर थे; मुझे और ओमप्रकाश शर्मा (श्री करणपुर ) को RD 268 में ATTACH किया गया; 15 दिन उपखण्ड कार्यालय में,  
15 दिन जिलेदार कार्यालय,   और 2 माह FIELD ATTACHMENT पटवारी के साथ, जिलेदार का CHARGE श्री बद्रीराम पटवारी जी के पास था; फ़तेह सिंह, पटेल सिंह, काशीराम, सुखदेव सिंह पटवारी भी इसी जिलेदारी के अधीन थे; हम दोनों को  इच्छा के अनुसार श्री सुखदेव सिंह संधू, पटवारी हल्का सतजंडा  के साथ लगाया गया;
हम दोनों ने पूरी लगन से कम सीखा और किया; ओम करणपुर आता, उसका हमारे घर काफी आना-जाना रहता था, हम साथ-साथ सतजण्डा  आते जाते, मैं भी अक्सर करण पुर आता-जाता रहता था; उसके पिता श्री रामचंद्र शर्मा भी सिंचाई विभाग में मिस्त्री थे; अब यह पद नहीं है; RAIL-LINE और स्कूल के बीच कॉलोनी में ही उनका QUARTER था; अब भी हम दोनों का मिलना-जुलना हो जाता है; 

रविवार, 3 नवंबर 2013

Yaaden (113) यादें (११३)

मेरे बड़े साले श्री ओमप्रकाश जौहर उन दिनों जिला शिक्षा अधिकारी श्रीगंगा नगर के कार्यालय में पदस्थापित थे; उनकी सलाह पर पिताजी ने मुझे type सीखने को कहा, मैंने बात मानकर हिंदी और अंग्रेजी दोनों टाइप सीखी और राजस्थान लोक सेवा आयोग के विज्ञापन में LDC भर्ती में आवेदन किया; दिसम्बर 1976 में बीकानेर परीक्षा थी, रात 11 बजे रायसिंह नगर से METER-LINE गाड़ी पर रवाना होकर सुबह 6 बजे बीकानेर; मैं मोहता धर्मशाला में रुका था; मेरा CENTRE FORT SCHOOL में था; बीकानेर के बारे में मैं मनीराम सुथार से जानकारी लेकर गया, मेरी पहली बीकानेर यात्रा थी; मैं बीकानेर खूब घूमा, परीक्षा में राजस्थानी शब्द 'गोठ' का अर्थ पूछा गया था, जो मुझे मालूम नहीं था; तब तक मुझे राजस्थानी कम आती थी !  उस वक़्त बीकानेरी भुजिया र 6/- का भाव था; 31.12.1976 की रात 9 बजे वापस रवाना होकर, 01.01.1977 सुबह 4 बजे रायसिंह नगर पहुंचे; 
घर आकर मैंने यात्रा का हाल, केशर सिंह जी को लिखा था; और इस परीक्षा में भी, मेरा चयन हो गया था;
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रविवार, 27 अक्तूबर 2013

YAADEN (112) यादें (११२)

पानीपत में NFL की परीक्षा व INTERVIEW से फारिग होकर मैं सीधा जम्मू चला गया था; वहां से सत्य बुआ को साथ लेकर आया, हम जम्मू-मद्रास में धुरी तक आये , यहाँ पहुँचने पर, अम्बाला श्रीगंगानगर पहले निकल गयी; हमारे पास सीधा टिकट था; धुरी 2 -3 घंटे बाद गाड़ी पकड़ कर बठिंडा आये, फिर ROUTE बदल कर आना पड़ा !
लगभग उन्हीं दिनों मुझे सिंचाई विभाग, सूरतगढ़ से दस्तावेजों के सत्यापन के लिए  बुलावा आ गया;  RCP Colony बड़ोपल road में जाकर सत्यापन करवाया; शेष तीन साथिओं ( चाचा रोशन लाल, मनीराम सुथार, और सुल्तान सुथार ) को बुलावा नहीं आया था, इससे गाँव में यह अफवाह लगभग पुख्ता हो गई थी - रामजी गो छोरो पटवारी लग गयो;
लगभग एक डेढ़ महीने बाद मुझे सिंचाई-पटवारी के प्रशिक्षण का बुलावा आ गया, 03.01.1977 को मुझे अधिशाषी अभियंता पूर्व खण्ड श्री विजय नगर के कार्यालय ( वर्तमान उपपंजीयक कार्यालय ) में उपस्थित होना था;     
यानि कि वर्ष 1976 का उतरार्ध ऐसा था कि - मैं मिट्टी में हाथ डालता तो सोना बन जाता था !
इस तरह पदम् कुमार जी की भविष्यवाणी फलीभूत हुई- "बेटा तेरा राज के खजाने में शीर है !"

रविवार, 20 अक्तूबर 2013

YAADEN (111) यादें (१११) WIFE

मेरी पत्नी अधिक पढ़ी लिखी नहीं है. वह अधिक सलीकेदार नहीं है, वह ज्यादा अच्छा खाना भी नहीं बना सकती. वह बिगड़ी बात को सम्भाल नहीं सकती. सामान्यतः कई बार हम दोनों में अनबन भी हो जाती है.

मेरी पत्नी अपने माँ बाप, सास ससुर, पति, रिश्तेदारों और संतान के प्रति समर्पित भारतीय नारी है. यही कारण है;कि उसकी साफगोई का हमारे परिवार, रिश्तेदारों और मित्रों ने कभी बुरा नहीं माना. उसमें कोई दुराव नहीं है; सब उसे भाग्यशाली मानते  हैं. 
वह लक्ष्मी स्वरूपा है, जब भी कोई रुपया पैसा  देती है, तो वह मेरे लिए फलदाई  होता है;
न तो उसमें दातापन का अभिमान रहता है, और न ही प्रतिफल की भावना; मैं इन दोनों अवगुणों से स्वयं  को मुक्त नहीं कर पाया;
 इसीलिए किसी आने जाने वाले, रिश्तेदार, सम्बन्धी , मित्र या माँगने वालों को जो कुछ भी  देना हो, मैं उसी के हाथ से दिलवाता हूँ;   

एक और बात 
उसका पक्ष लेकर मेरे माता पिता ने मुझे कई बार डांटा भी था;
मेरी दोनों सालियों संतोष और प्रमिला पर भी उनका स्नेह था; 
अब तो वे हमें छोड़ कर चले गए हैं. 

आज भी पत्नी को जाने अनजाने कुछ कह देता हूँ, तो लगता है, माँ-बाप मुझे डांट रहे हैं;    


जय हिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ

   

रविवार, 13 अक्तूबर 2013

YAADEN (110) यादें (११०)

NATIONAL FERTILIZERS LIMITED में मेरा चयन CHEMICAL OPERATOR के पद पर हो गया; मैं बहुत खुश था; 500-550 रूपये,  उस वक़्त राजस्थान में तहसीलदार का वेतन था; मुझे बुलावा आ गया था; 04.12.1976 को मुझे तूतीकोरिन ( मद्रास/ वर्तमान चेन्नई से 900 किलोमीटर आगे) पहुँचना था;  उससे पहले दिल्ली में MEDICAL-FITNESS के लिए उपस्थित होना था; 30 नवम्बर को मेरी शादी तय हो चुकी थी, इस बात को लेकर घर में जबरदस्त हंगामा मचा हुआ था, मैं शादी टालने की जिद पर था, माँ-बाप, सास-ससुर और रिश्तेदारों का मुझ पर ज़बरदस्त दबाव था, खिन्नता और बुझे मन से मैंने बड़ों की बात मान ली और नौकरी का प्रस्ताव ठुकरा दिया ;
36 साल बीत गये, यदि चला गया होता तो ,        
 रेतीले धोरों वाली राजस्थानी संस्कृति की बजाय; 
तमिल रंगों की समुद्री लहरों में रम गया होता !!  
        
जयहिंद جیہینڈ ਜੈਹਿੰਦ
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रविवार, 6 अक्तूबर 2013

YAADEN (109) यादें (१०९)

अगस्त 1976 में मेरा रिश्ता तय हो गया; लगभग इसके साथ ही गाँव में यह अफवाह भी फ़ैल गयी, रामजी का अशोक पटवारी लग गया; लगभग पूरा गाँव मेरे ससुर श्री राम रलाया जौहर को निजी तौर पर जानता था; कुछ एक ने तो जाकर उनको बधाई भी दी- मुनीम जी आपका अशोक पटवारी लग गया, उस समय तक ये कोरी अफवाह ही थी; लगभग उन्ही दिनों NATIONAL FERTILIZERS LIMITED पानीपत में JUNIOR CHEMICAL OPERATOR के पद के लिए भी मैंने आवेदन किया था; पानीपत दो दिन रुके थे; आने जाने का खर्चा भी मिला था; पहले दिन WRITTEN TEST हुआ, दूसरे दिन INTERVIEW में मुझसे पुछा NITRIC ACID का FORMULA मैंने झट से जवाब दिया - HNO3 और मेरा चयन हो गया था; हमें बताया गया कि- APPRENTICE PERIOD  पहले साल 300 और दुसरे साल 370 रुपये मिलेंगे रहना निशुल्क होगा; उसके बाद लगभग 500 वेतन मिलेगा; पाँच साल का अनुबंध है; उसके बाद अगर जाना चाहोगे तो विश्व की कोई भी COMPANY 5-6 हज़ार महिना दे देगी;
 लगभग उन्हीं दिनों (01.09.1976 से ) अध्यापक / पटवारी/लिपिक  का शुरूआती वेतन 355 राजस्थान सरकार ने लागु किया था;        

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रविवार, 29 सितंबर 2013

YAADEN (108) यादें (१०८)

मई 1976 की एक शाम, पिताजी कहीं इधर-उधर गये थे,  मैं दुकान के बाहर खड़ा था; सामने दक्षिण दिशा से पंडित तीरथ राम जी आ रहे थे ; मुझे देख कर रुके और बोले -
 तू भी उनके साथ बिजय नगर चला जा;
मैंने जिज्ञासा-वश उनकी और देखा तो बोले-
कल सुबह सुल्तान, मनीराम और रोशन पटवारिओं के FORM भरने जा रहे हैं; मैंने हामी भर दी; सुबह 8.45 की बस से हम रवाना हुए;  र 2.25 किराया था;  10 बजे नगर-पालिका के पास बस ने उतारा, वर्तमान तहसील भवन में घडसाना खण्ड का कार्यालय था;  र 5 के 4 फॉर्म हमने लिए; शाम 5 बजे बस से रवाना होकर नानुवाला कोठी उतरे; एक दुसरे से पटवारी जी- पटवारी जी कह कर मजाक करते जाते थे; वे तीनों REVENUE / IRRIGATION शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे; मुझे इन दोनों शब्दों का मतलब पता नहीं था; दूसरा वे कह रहे थे कि केवल राजस्थान में पढ़े हुए ही इस पद पर आवेदन कर सकते हैं; मैंने इस वार्तालाप में  मान लिया था कि ; मेरा आवेदन नहीं माना जावेगा; एक और घटना क्रम हुआ; उन तीनों ने तहसीलदार रायसिंह नगर से फोटो-आवेदन प्रमाणित करवाया और REGISTERED डाक से भेजे; मैंने SDM साहब से प्रमाणित करवाया और साधारण डाक 25 पैसे वाले लफाफे में भेजा; बाद में आपसी बातचीत में उन्होंने बताया कि फोटो तो तहसीलदार से प्रमाणित करवाना था; तुमने गलत करवाया है; पर मैं इस विचार-धारा पर कायम  था कि SDM तो तहसीलदार से बड़ा होता है;

       

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रविवार, 22 सितंबर 2013

YAADEN (107) यादें (१०७)

एन वक़्त पर विषय बदल जाने और गणित का III पेपर छोड़ देने के बावजूद, मैं II श्रेणी नम्बरों से BA IIYEAR पास हो गया था ! भोपाल से लौट कर मैं अंपने पैरों पर खड़ा होने के लिए कटिबद्ध हो गया; दादा गुरदित्ता मल जी के साथ मैंने PUNJAB NATIONAL BANK के सामने रायसिंहनगर में होटल कर लिया; ये सेवक राम तुली की दुकान थी; तब मैंने पहली EICHER TRACTOR देखा था;  उन्हीं दिनों मेरी शादी कोराँ देवी ईशर दास जी की बेटी कमलेश के साथ करवाने की जबरदस्त चर्चा पंडित तीरथ राम जी ने चलानी शुरू कर दी; अंतर्मन में मुझे ये सब कुछ काफी बुरा लगा था, ज़ाहिर तौर पर मैं उनका विरोध नहीं कर सका था;

रोशन चाचा जी ने इस बारे में मेरी सलाह पूछी तो मैनें उन्हें स्पष्ट बता दिया था, कि मैनें कभी कमलेश को इस नज़र से नहीं देखा ;
उन्होंने पिताजी को ये बात बता दी; तब मैं दूसरी बार बुड्ढा-जोहड़ रायसिंहनगर से जैतसर वाली बस में बैठकर गया था;   

रविवार, 15 सितंबर 2013

YAADEN (106) यादें (१०६)

भोपाल होटल भोपाल , के मालिक चोपड़ा परिवार का हम सब के साथ बहुत अच्छा व्यवहार था; बिलकुल घर जैसा माहौल था; राजस्थान से मैं अकेला था बाकी पंजाब हरयाणा से थे; अश्विनी, कपिला, सिंगला, गाँधी, एक सरदारजी और एक लड़की शायद करनाल से, कुल छः;  विजय जी के अलावा एक भाटिया साहब भी हमारे साथ गये थे, वहाँ चोपड़ा परिवार के सदस्यों के अलावा एक सोढ़ी जी थे, जो अक्सर हमारे पास आ जाते थे गपशप के लिए; उन दिनों इंदिरा गाँधी के 20 (21 ) सूत्री कार्यक्रम के साथ-साथ संजय गाँधी का 4 सूत्री कार्यक्रम और राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद का 2 सूत्री कार्यक्रम भी चल रहा था; सोढ़ी अक्सर इन कार्यक्रमों की चर्चा करता रहता था; विजय, सरदारजी, और लड़की हिंदी में बोलते थे, बाकि हम सब चोपड़ा जी का परिवार और सोढ़ी पंजाबी में ही बोलते थे; हमने काफी घुमाई भी की थी;
 भोपाल में मेरे लिए एक नई बात ये थी कि पानी की सुराहियों के पास गीले चूने की पुडिया पड़ी रहती थी , लोग अंगुली से थोडा सा चूना चाट कर पानी पीते थे; पूछने पर पता चला कि CALCIUM की कमी है;
   उसी दरम्यान मध्यप्रदेश में विद्याचरण शुक्ल को बदल कर उनके ही भाई श्यामाचरण शुक्ल को  मुख्य-मंत्री बनाया गया;
परीक्षा के कार्यक्रम में मेरे साथ एक और हादसा पेश आया; मेरा गणित III तथा एक अन्य विषय के प्रश्न पत्र एक ही समय थे; जो स्पष्टतः विश्वविद्यालय की गलती थी; मुझे दुसरे साथियों ने अदालत से परीक्षा रुकवाने की सलाह दी; पर मैंने कहा कि मैं गणित III पेपर छोड़ दूंगा फिर भी पास हो जाऊंगा; इसी आत्म-विश्वास के साथ मैंने गणित III पेपर छोड़ दिया;



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रविवार, 8 सितंबर 2013

YAADEN (105) यादें (१०५)


अपनी पूरी तैयारी के साथ मैं BA (PRE) की परीक्षा के इंतजार में था, प्रवेश पत्र आया तो उसमें MATHS APPLIED की बजाय हिंदी विषय था; मैंने हिम्मत नहीं हारी और पन्द्रह बीस दिन में ही हिंदी की तैयारी कर ली, अप्रैल 1976 में परीक्षा देने भोपाल जाने के लिए लुधियाना में इकट्ठे हुए, वहाँ से दोपहर को 12 बजे अमृतसर दादर एक्सप्रेस में चले, कुछ साथी शाम को 3 बजे शाने-पंजाब से रवाना हुए और नई दिल्ली  रात 9 बजे हमारे साथ हो गये, सुबह भोपाल पहुंचे, स्टेशन के पास ही चोपड़ा जी के भोपाल होटल, में PAYING-GUEST के रूप में रुके थे; र 35 / प्रतिदिन के हिसाब से; जो उस वक़्त के हिसाब से मुझे महंगा ही महसूस हुआ था;  

  
जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
Ashok 9414094991, Tehsildar ; Sri Vijay Nagar 335704 
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रविवार, 1 सितंबर 2013

YAADEN (104) यादें (१०४)

और इस तरह उथल-पुथल भरा 1975 निकल गया; इस दरम्यान मैंने पिताजी के साथ दुकान का काम काफी हद तक संभाल लिया था; रायसिंहनगर में खरीद-फरोख्त के लिए मैं जाने लगा था; पंडितों की दुकान पर चाचा सुरेशलाल व रोशनलाल थे;  उन दोनों के साथ शुरू से ही मेरी  अच्छी पटती थी; 
gmm1780218681.jpgBAKERY वाला विचार लगभग ख़त्म हो गया था; वज़ह कि, पिताजी मेरे साथ किसी को साझे में रखवाना चाहते थे और मैं अपने साथ किसी को भी साझे में रखने को तैयार नहीं था; 1976 के शुरुआत, शायद फरवरी में बाशी चाचा जी (सुभाष चन्द्र शर्मा) की शादी थी, बारात नानुवाला से पदमपुर गयी थी; 
मैं ALL INDIA RADIO की उर्दू सर्विस और विविध-भारती सुना करता था; लगभग उन्हीं दिनों भारत-सरकार ने रोजगार समाचार तथा EMPLOYMENT NEWS का प्रकाशन शुरू किया, जिसकी कीमत 25 पैसे रखी गयी थी; मैं पहला अंक खरीदकर लाया था;  
  मुल्क के सियासी हालात काफी पेचीदा होते जा रहे थे; PRESS CENSORSHIP पूरी तरह लागू थी; भारत की चारों संवाद समितियों PRESS TRUST OF INDIA, UNITED NEWS OF INDIA, हिंदुस्तान समाचार तथा समाचार भारती को विलय कर एक ही 'समाचार' बना दी गयी थी; 
तब तक हलके फुल्के अंदाज़ से रिश्तेदारियों में मेरी शादी की चर्चाएँ होने लगी थीं;

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रविवार, 25 अगस्त 2013

YAADEN (103) यादें (१०३)

gmm1780218681.jpg1975 के इस उथल-पुथल और गर्माहट-कड़वाहट वाले मिले-जुले माहौल के दरम्यान ही मैं अपनी माताजी के साथ भानियावाला, डोईवाला गया; संगी-साथियों और रिश्तेदारों से मिल-जुल कर वापस आ गया;
ROYAL PUBLIC COLLEGE लुधियाना की मार्फ़त मैंने  PURE MATHEMATICS, APPLIED MATHEMATICS, POLITICAL SCIENCE विषयों में BA PREVIOUS प्राइवेट तौर पर BHOPAL UNIVERSITY से आवेदन किया  मेरा पता मार्फ़त PUNJAB BOOT HOUSE HAMIDIA ROAD BHOPAL था ; दिल्ली पहाड़-गंज में भी उनकी शाखा थी; शायद संचालक का नाम विजय खन्ना था; 
  मैंने नानुवाला घर पर खुद ही तैयारी की थी; PURE-MATHEMATICS तो मैं पहले से पढता आया था; अब APPLIED-MATHEMATICS और खास कर उसमें HYDRO-STATICS , HYDRO-DYNAMICS मुझे काफी आसान लगती थी; कुछ तो गुरजंट सिंह सुबह मेरे पास पढने आता था, करीब 3 या 3.30 बजे वह अपने घर से चाय लाकर मुझे उठाता, लगभग सुबह 5 बजे तक मैं उसे PHYSICS और MATHS  पढाता था; इससे मेरे खुद के दोनों MATHEMATICS अच्छी तरह तैयार हो गये थे; उस वक़्त भारत की राष्ट्रीय राजनीति के हालात ने मुझे POLITICAL SCIENCE पर पूरी पकड़ करवा दी थी; खासकर INDIAN CONSTITUTION और USSR के बारे में !
 
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रविवार, 18 अगस्त 2013

YAADEN (102) यादें (१०२)

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उसी दरम्यान बड़े मामाजी नानुवाला आये, उनका बड़ा लड़का राजीव (BINTU) भी साथ था; वापसी उनको दोपहर 1 बजे वाली गाड़ी से जाना था; उन्होंने मुझे राजीव के साथ लेकर रायसिंहनगर RAILWAY STATION पर पहुँचने को कहा; मैं पहुँच कर उन्हें ढूंढता रहा; वे नहीं मिले, इतने में गाड़ी आ गयी; मैं राजीव को लेकर PLAT-FORM से बाहर पश्चिम दिशा वाले EXIT के पास खड़ा होकर प्लेटफार्म पर निगाह करता रहा; गाड़ी निकल गयी; मामा जी आकर मुझे नाराज़ हुए; कि PLAT-FORM से बाहर क्यों आया ? मैंने जवाब दिया EMERGENCY लगी है , बिना PLAT-FORM TICKET अन्दर खड़े नहीं हो सकते !
फिर टिकेट वापस करके वे बस पर गए !
पर यह तो मानना ही पड़ेगा कि आपातकाल में रेलें समय पर आती थीं; दुकानों पर STOCK की उपलब्धता और खुदरा दर प्रतिदिन लिखी मिलती थी; ठीक 10 बजे कर्मचारी कार्यालयों में बैठे मिलते थे; 
उस दौर में सबसे ज्यादा शोषण छोटे किसानों का हुआ, जिन्होंने थोड़ी जोतें होने के कारण या तो अपने टुकड़े अनुसूचित जाति के लोगों को बंटाई पर दिए और काश्त के लिए उन्हें रुपये-पैसे की मदद की; दूसरा वे भी जिन्होंने अनुसूचित जाति के लोगों की ज़मीन हिस्से ठेके पर ली, और उनको साथ रखकर काश्त करवाने में सहायता की;
इस तरह सामान्य जाति वर्ग के छोटे कृषक बुरी तरह प्रताड़ित हुए ! इससे गावों में चला आ रहा पुश्तैनी सौहार्द काफी डांवाडोल हो गया !  खासकर छोटे तबके के किसानों ने अनुसूचित जाति के मजदूर वर्ग से सम्बन्ध लगभग तोड़ लिए थे !


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रविवार, 11 अगस्त 2013

YAADEN (101) यादें (१०१)

EMERGENCY लगने से, बोलने  की आज़ादी ख़त्म हो चुकी थी; मुख्य विपक्ष जनसंघ और दूसरे छोटे साम्यवादी, समाजवादी दलों के अधिकांश नेता अटल बिहारी वाजपई, लालकृष्ण अडवाणी, अशोक मेहता, समर गुहा, JP कृपलानी, JP नारायण, ज्योतिर्मय बसु, मधु दंडवते, मधु लिमये, नीलम संजीव रेड्डी, मोरारजी देसाई, GEORGE FERNANDEZ राजनारायण, आदि जेलों में बंद कर दिए गये;

जाती तौर पर मेरे साथ एक और वाकया पेश आया, उन दिनों PRINT FORM को भर कर या सादे कागज़ पर TYPE करवा कर या फिर हाथ से पूरी नक़ल करके TRUE-COPY करवाई जाती थी; मैं अक्सर अपने दस्तावेजों के लिए स्कूल में, BDO के पास या किसी दुसरे सरकारी कार्यालयों में चला जाता था; एक दिन दस्तावेजों की प्रतियाँ सत्यापित करवाने रायसिंहनगर तहसील में चला गया, गजेन्द्र हल्दिया SDM और सुभाष चन्द्र जी तहसीलदार थे; मैं सीधा तहसीलदार जी के पास चला गया, उन्होंने कहा बाबु से COMPARE करवा लो; मैं पश्चिम दिशा की तरफ कमरे में आया तो बाबूजी कुर्सी पर बैठे आराम से बीड़ी पी रहे थे; मैं पास जाकर खड़ा हो गया, और COMPARE करने को कहा, काफी देर खड़े रहने पर भी उसने मेरे काम का ध्यान नहीं दिया,
मैंने फिर से कहा ;
 उसने जवाब दिया  - TIME  नहीं है;
 मैं भड़क गया और कहा- बीड़ी पीने का TIME है, COMPARE करने का नहीं ?
वह मुझे बाजु से पकड़ कर तहसीलदार जी के पास ले गया, और शिकायत कर दी;
मुझे एक-एक शब्द याद है; तहसीलदार जी ने कहा - ज्यादा ज्ञानी हो ?
मैंने फिर से अपनी बात दोहरा दी;
तहसीलदार जी बोले- ले जाओ, थाने में बंद कर दो !
उस समय जमादार आकर मुझे अपने साथ बाहर ले आया और बोला; तुम जाओ !




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रविवार, 4 अगस्त 2013

YAADEN (100) यादें (१००)

आपात काल घोषित होने के साथ ही संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार निलंबित हो गये;  पिताजी मेरी हरकतों और रंग-ढंग से थोड़े आशंकित रहते थे; उस समय हमारे गाँव में श्री कल्याण सिंह राजावत (निवासी 3STB) ग्राम-पंचायत के सचिव थे, मैं उनसे ज्यादा परिचित तो नहीं था; किन्तु वे मुझे अच्छा लड़का समझते थे; उन्होंने मुझे समझाने की कोशिश की, कि संजय गाँधी की युवा कांग्रेस का बोर्ड बनवा कर टांग लो; अपनी दीवारों पर SLOGAN लिख लो; गाँव ,में तुम्हारी पूछ होने लग जावेगी; मैंने उन्हें साफ बता दिया कि यह मेरी विचार-धारा से बाहर है;
gmm1780218681.jpgतब उन्होंने गांधीजी की मौत के बाद खुद का वाकया बताया कि उस दिन किसी ने सामान्य बातचीत में ही बोल दिया कि कल्याण सिंह नत्थुराम गोडसे के बारे में बात कर रहा है; तो पुलिस मेरे पीछे पड़ गयी और मैं कई दिन छुपा रहा;
  एक दिन तो गज़ब हो गया, बाकी घरों के साथ-साथ, हमारी दीवार पर भी नारा लिखने वाले ने लिख दिया; मैंने देखा, पहले तो गुस्से में उसे बुरा-भला कहा, फिर उसके सामने ही उस लिखावट पर कली पोत दी; इस घटना के बाद पिताजी मेरे प्रति ज्यादा ही आशंकित हो गये थे;


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रविवार, 28 जुलाई 2013

YAADEN (99) यादें (९९)

1975 की गर्मियों में जम्मू से नानुवाला लौटा, तो मुल्क के सियासी हालात करवट बदल रहे थे; FAMILY-PLANING की सरकारी जोर-जबरदस्ती शुरू थी; इंदिरा गाँधी के नारे जगह-जगह लिखे थे -
Sanjay Gandhi.jpg
कड़ी मेहनत !
पक्का इरादा!!
अनुशासन !!!

संजय गाँधी की युवा कांग्रेस का बोलबाला था; अम्बिका सोनी, माखनलाल फोतदार, अरुण नेहरु,विद्याचरण शुक्ल, ताजदार बाबर, RK धवन, हरिकिशन लाल भगत, बंसीलाल व उनका पुत्र सुरेन्द्र कुमार, जगदीश TITLER, जगमोहन सुर्ख़ियों में थे; दिल्ली केंद्र शासित ही थी; 

शासन व्यवस्था में संजय के हस्तक्षेप से नाराज़ होकर सूचना एवं प्रसारण मंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने इस्तीफ़ा दे दिया; संजय गाँधी के कार्य-क्रम में शामिल होने से मना करने पर आकाशवाणी ने किशोर कुमार के गानों का प्रसारण बंद कर दिया; जामा-मस्जिद और तुर्कमान-गेट के लाखों झुग्गी-झोंपड़ी वालों को बेदखल किया गया;  

42 वें संविधान संशोधन से संसद का कार्यकाल 6 वर्ष किया; संविधान के मौलिक स्वरुप को काफी बदला गया, इलाहबाद उच्च न्यायालय के एतिहासिक फैसले को भी संविधान संशोधन से नाकाबिल कर दिया; 
राष्ट्रपति को पूरी तरह प्रधान-मंत्री और मंत्री-परिषद् की सलाह के तहत कर दिया; राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत आंतरिक आपात-स्थिति लागू कर दी; 

नौकरशाही का रुतबा बढ़ गया था; आंसुका (आंतरिक सुरक्षा कानून) INTERNAL SECURITY ACT के कारण समाज में तानाशाही जैसी हालात वाले डर और आशंकाएं व्याप्त हो चुकी थीं !   !!!!!!

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रविवार, 21 जुलाई 2013

YAADEN (98) यादें (९८)

मेरे जम्मू रहने के दौरान ही , गीता (चाचा मंगतराम-बुआ सत्या की बड़ी बेटी) को हलके लकवे की शिकायत हुई; उसी समय यह बात जोर पकड़ गई कि हिसार के पास कोई चमत्कारी बालक ऐसे वाक़यों का इलाज करता है; गीता को वहाँ लेकर गये थे; मैं और दादा जी घर पर ही रहे थे; तब बीना भी वहीँ रहती थी; उसके कुछ दिन बाद वहां ही बीना की शादी हरभजन लाल कपूर (पठानकोट) के साथ हुई;
जम्मू में मैं अक्सर मैदा, चीनी और  वनस्पति घी खरीदने ware-house (तवी पुल के पास)  जाता रहता था; उसी साल मैंने JAMMU UNIVERSITY से PRIVATE EXAM  का FORM जमा करवाया, जो तकनीकी कारणों से ख़ारिज हो गया!


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रविवार, 14 जुलाई 2013

YAADEN (97) यादें (९७)

जम्मू प्रवास के दौरान मैं  बिलकुल दक्षिण में, रणवीरसिंह पुरा (RS PURA) भी गया, जो बिलकुल सीमान्त है; वहां मुझे पता चला कि जम्मू से स्यालकोट तक RAIL-LINE हुआ करती थी; 
वो स्यालकोट जिसका ज़िक्र पंजाबी किस्सों, खासकर पूरण-भगत में बहुत मीठे पढ़ा करते थे; 
शहर स्यालकोट अन्दर ! ਸ਼ਹਰ ਸ੍ਯਾਲਕੋਟ ਅੰਦਰ !
 नदी पार सीमान्त दो -तीन गाँव और भी हैं जिनके नाम मुझे याद नहीं रहे; पर ये सारा इलाका पाकिस्तान वाले पंजाब  साथ ही लगता है; LOC के पार वाला कश्मीर का इलाका इस तरफ नहीं है ! भारत का नक्शा देखने से भी समझ आ जाता है कि जम्मू-पठानकोट-अमृतसर रास्ता V आकार का है; जबकि जम्मू-स्यालकोट-डेरा बाबा नानक - अमृतसर सीधा रास्ता है;  मैं पहले समझता था की जम्मू कश्मीर के लिए शेष भारत से केवल पठानकोट-कठुआ वाला (राष्ट्रीय राज-मार्ग 1A) ही है; मुझे पता चला की जम्मू कठुआ के बिना भी जम्मू कश्मीर से सीधे हिमाचल प्रदेश के लिए पहाड़ों के बीच से दुर्गम सड़क-मार्ग उपलब्ध है !


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रविवार, 7 जुलाई 2013

YAADEN (96) यादें (९६)

जम्मू-कश्मीर में CONGRESS के सैयद मीर कासिम मुख्य-मंत्री थे, MUSLIM-CONFERENCE के शेख मोहम्मद अब्दुल्ला जेल में थे; केंद्र सरकार ने शेख अब्दुल्ला से समझौता किया; कांग्रेसी मुख्य-मंत्री ने स्तीफा दिया; शेख अब्दुल्ला जेल से रिहा होकर मुख्य-मंत्री बने, साथ में SONAM NARBU और मिर्ज़ा मुहम्मद अफज़ल बेग, मंत्री कुल तीन-सदस्यीय मंत्री-मण्डल ने शपथ ली !
बैसाखी वाले दिन 13.04.1975 को प्रधान-मंत्री इंदिरा गाँधी जम्मू आयीं ! साथ में डॉक्टर कर्ण सिंह भी थे; शाम को STADIUM GROUND में सभा हुई, जिसमे प्रधान-मंत्री, मुख्य-मंत्री, डॉक्टर कर्ण सिंह, के अलावा बेगम अब्दुल्ला भी थीं; 
सुबह के वक़्त सतवारी AIRPORT और शाम को STADIUM में मैं गया था; 
बाकी वक्तव्य तो मुझे याद नहीं, शेख साहब का एक वाक्य याद है : -
हवा का रुख़ बदल रहा है !
मंच से उतारते वक़्त शेख साहब ने कहा - आईये बेगम साहिबा !
ये अल्फाज़ LOUD-SPEAKER में साफ़ सुनाई दिये थे;
जिस शेख़ मोहम्मद अब्दुल्ला के किस्से मैं अपने घर में बचपन से सुनता रहा था, आज साक्षात् देखना, मेरे लिए परी-कथा जैसा था !
देश की प्रधान-मंत्री, शेख़ साहब और डॉक्टर कर्ण सिंह जैसी विख्यात हस्तियों को देख-सुन कर मैं अपने-आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा था !



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रविवार, 30 जून 2013

YAADEN (95) यादें (९५)

जम्मू गंगयाल में रहकर मैंने बेकरी का कम अच्छी तरह सीखा; दादा दुर्गादास जी, दादी प्रेम देवी, चाचा मंगत राम, बुआ सत्यादेवी, उनका कारीगर रमेश उम्र में मुझसे छोटा था; मैं उसे छोटे भाई की तरह ही व्यवहार करता था; दादा जी बहुत CIGARETTE पीते थे, मैं उस ज़माने से देखता आया था , नानुवाला में LAMP फिर वर-चक्र,
पंजाबी में एक चुटकुला भी चलता था : -
 पाणी पीओ, पम्प दा !    ਪਾਣੀ ਪਿਓ ਪੰਪ ਦਾ !
सिगरट पीओ लम्प दा !! ਸਿਗਰੇਟ ਪਿਓ ਲੰਪ ਦਾ !!
एक शाम दादा जी को कुछ घबराहट हुई; हम सब घर पर ही थे;
जो कुछ भी उपचार करना था किया; जब वे कुछ स्वस्थ हुए , तो मुँह की गाली के साथ सिगरेट की डब्बी फेंक दी; एह छड्डी !!! ਇਹ ਛੱਡੀ !!!
उस दिन के बाद उन्होंने  कभी सिगरेट नहीं पी !
मैं उनकी उस दिन की इच्छा-शक्ति का कायल हो गया था !
1999 में जब मैं हिन्दुमलकोट था, कारगिल की लड़ाई के कुछ दिन बाद उनका जम्मू में ही देहांत हुआ !



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रविवार, 23 जून 2013

YAADEN (94) यादें (९४)

मेरे पढ़ाई छोड़ने पर सबसे ज्यादा सदमा अशोक जौहर को लगा था; कई महीने तक उसके बुलावे आते रहे थे; पत्रों में वो आस-पास के सारे हालात लिखता था, उसके हरेक वाक्य उदासी झलकती थी; ये ख़त-ओ-ख़िताब कई साल चलते रहे, जब भी डोईवाला जाता हूँ, उससे तो मिलता ही हूँ;
उसमें घमण्ड बिलकुल नहीं है, बात करता है, तो मासूम और सरल; हम जब भी इकट्ठे होते थे, वह खुद खाए या न खाए मुझे जबरदस्ती कुछ न कुछ खिलाने की कोशिश करता रहता था;  सबसे खास बात ये की उसने खुद मुझे दोस्त चुना था; हालाँकि उसकी सगी बहन नीरू बाला, और ताया मदनमोहन जी की बेटी किरण बाला IX से XII तक मेरी सहपाठी रही हैं; HIGH-SCHOOL में तो हम इकट्ठे IX C, X C में BIOLOGY में थे, INTERMEDIATE में मैं MATHEMATICS, PHYSICS  XI C, XII C में था, वे ZOOLOGY BOTANY में थीं; पर हिंदी, ENGLISH, और CHEMISTRY के पीरियड्स इकट्ठे ही थे; उन दोनों से 1974 के बाद मुलाकात नहीं हुई;
अशोक एक सफल व्यापारी है : -
JOHAR IRON STORE, CHOWK BAZAR; DOIWALA 128140


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रविवार, 16 जून 2013

YAADEN (93) यादें (९३)

श्रीगुरु राम राय कॉलेज में मेरा तकरीबन दो-ढाई महीने ही पढना हो सका; उस समय मेरी शकुन्तला मौसी और मौसा हरीशरण आनंद, कांवली रोड, खुड़बुड़ा मोहल्ला में रहते थे; मैं कभी-कभार उनसे मिलने चला जाता था; दशहरे के छुट्टियो में, मैं शकुंतला मौसी और उनके बेटे राजू को साथ लेकर नानुवाला आया; यहाँ आने के बाद मुझे लगा कि छात्र-आन्दोलन, राजनीति, के चक्कर में अपना समय बरबाद करने की बजाय कुछ कारोबार करना चाहिए; और इस सोच के आते ही, मेरा मन पढाई से उचाट हो गया; मैंने अपना इरादा माँ-बाप पर प्रकट किया, पहले तो उन्होंने मुझे समझाने की कोशिश की; पर जब मैंने आन्दोलन के चलते अक्सर कॉलेज में छुट्टी होने, और पढाई न होने का बताया, तो वे मेरे इरादे से सहमत हो गए ; इसके साथ ही मैंने यह भी बता दिया  कि मैं जम्मू जाकर BAKERY का काम सीखूंगा;
कुछ दिन घर रह कर मैं मौसी और उनके बेटे के साथ रवाना हुआ, रायसिंह नगर से दोपहर 1 बजे RAIL से श्रीगंगानगर वहां से शाम 6 बजे CHANDIGARH EXPRESS (जो आजकल बाड़मेर जाती है) उनको अम्बाला से सहारनपुर जाना था, और मुझे आधी रात को धूरी से लुधियाना की गाड़ी पकडनी थी, धूरी पता चला रात वाली गाड़ी बंद है; तो मैं राजपुरा तक उसी गाड़ी में गया, वहाँ से मुझे सीधे जम्मू के लिया SRINAGAR EXPRESS  मिल गयी;
 इस तरह मेरी ज़िन्दगी में अप्रत्याशित TURNIG-PONIT आ गया;

जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
Ashok 9414094991, Tehsildar ; Sri Vijay Nagar 335704 
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रविवार, 9 जून 2013

YAADEN (92) यादें (९२)

अशोक जौहर, सुखदेव सिंह, कमल किशोर जोशी और चमनलाल दत्ता, मुझसे एक कक्षा आगे थे; चमन के पिता श्री चुनीलाल मेहता, मेरे माता-पिता के पुराने परिचित थे, IX के बाद X में मैं डोईवाला रहने लगा तो, हमारे घर भी पास-पास थे, मैंने उसे बड़े भाई का दर्जा दिया; पढाई में तो होशियार था ही, सौम्यता में भी मुझसे श्रेष्ठ था;
Intermediate के बाद जब हम देहरादून पढ़ते थे, तो भी रेलगाड़ी में साथ ही आना-जाना होता था;  देहरादून छोड़ने के बाद भी हमारे ख़त-ओ-ख़िताब चलते रहे, फिर शायद 1980 मैं दिल्ली गया, तो RK Puram में वह अपने बड़े भाई-भाभी के पास रहता था, मैं मिलने गया था; उसके बाद मुलाकात नहीं हुई; वह civil court देहरादून में steno है;    
अशोक जौहर से डोईवाला जाने पर मुलाकात होती ही रहती है; सुखदेव सिंह का गाँव खैरी है, एक बार उसके घर भी जाकर आया था, कमल किशोर जोशी के पिताजी डोईवाला block में सेवारत थे, उससे पत्र-व्यवहार एक-दो साल चलता रहा; बाद में बंद हो गया; 
इंटरमीडिएट परीक्षा के दौरान सुखदेव, कमल किशोर और मैंने देहरादून में इकट्ठी फोटो खिंचवाई थी; उसके पीछे मैंने लिखा था-
ये जवानी, ये लड़कपन सब बदल जायेगा !     یہ جوانی، یہ لداکپن، سب بدل جاےگا؛
यादगार  में ,  इक  फोटो  ही  रह  जायेगा !!     یادگار میں،  یک فوٹو ہی، ررہ جاےگا   

लगता नहीं, कि 39 साल बीत गये हों !



जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
Ashok 9414094991, Tehsildar ; Sri Vijay Nagar 335704 
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रविवार, 2 जून 2013

YAADEN (91) यादें (९१)

देहरादून में DBS और DAV कॉलेज पढाई और अनुशासन की दृष्टि से अच्छी साख वाले थे; पर ये दोनों PG COLLEGE RAILWAY STATION से तकरीबन 4-5 किलोमीटर उत्तर दिशा में सहस्त्र-धारा जाने वाली DL ROAD पर है; इसी कारण डोईवाला की तरफ से जाने वाले अधिकांश विद्यार्थी हरिद्वार रोड पर RACE-COURSE से पश्चिम दिशा में  RAILWAY-LINE और सहारनपुर के बीच में स्थित, श्रीगुरु रामराय PG COLLEGE   में ही पढ़ते थे;
 अगस्त 1974 में कॉलेज खुलने पर, जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व वाले, छात्र आन्दोलन के अनिश्चय की स्थिति में ही,    मैंने भी BSc (maths) में दाखिला ले लिया; उस समय स्वामसिंह तोमर Principal थे; उनके हाथ का जारी IDENTITY-CARD बहुत बाद तक मैंने यादगार रखी थी; जिस पर उन्होंने खुद्कलम लिखा था-
Valid upto 30 June 1975    
हमसे पहले तक देहरादून जिला MEERUT UNIVERSITY में था; उसमें SEMESTER SYSTEM  था, पर अब GARHWAL UNIVERSITY श्रीनगर नई बन गई थी; इसमें YEAR SYSTEM लागु किया गया; इस कारण SENIORs और हममें अंतर हो गया था;
अशोक जौहर और मैं SGRR मे थे, चमनलाल दत्ता पहले से ही DBS में था; मुझे पक्का याद
नहीं, पर शायद देहरादून से डोईवाला (20 KM)  MST एक महीने की 4 रुपये, और तीन महीने की 9 रुपये में बनती थी;
डोईवाला से अमूनम हम 41 UP मसूरी एक्सप्रेस (दिल्ली) से सुबह 8 बजे चलते थे, वापसी देहरादून से दोपहर 2.40 अमृतसर पसेंजर (लाहौरी) से चलते थे, हर्रावाला में बच्चे टोकरियों में अमरुद बेचने आते थे, पांच-दस पैसे में एक-दो , या फिर 30-40 पैसे में पूरी टोकरी तकरीबन 1 Kg हम ले लेते थे; .        

  जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
 Ashok, Tehsildar  Srivijaynagar  9414094991